DefinePK

DefinePK hosts the largest index of Pakistani journals, research articles, news headlines, and videos. It also offers chapter-level book search.

Ghalib’s Letter On Corona | Rekhta Studio (w/ Urdu Captions)


Video content is provided via the YouTube platform. All rights and ownership belong to the original content creator.
Source channel: Rekhta

▶ Watch on YouTube
Description

Mirza Ghalib's Letter on Corona By Rashid Abbas. ا*Turn On Captions/CC for Urdu Subtitles*
Audio by RJ Fahad.
Transcript in Hindi
एक ख़तरनाक और मोहलिक वाइरस ''कोरोना’’ सेबुरी तरह
मुतअस्ससर इस दौर मेंअगर ग़ालिब होतेतो अपनेलकसी शालगदद
को ख़त मेंक्या लिखते, मज़मून लनगार रशीद अब्बास नेयेसारी
बातेंउन्हीं केअंदाज़ मेंलिखीं हैं।
ख़त अब शुरू होता है
--------------------------------
"लमयााँ... ख़त तुम्हारा मअ’ ग़ज़ि पहुँचा"
ग़ज़ि क्या देखूाँ, लिि-वक़्त अज़ाब-ए-इिाही देख रहा हुँ
न काग़ज़ हैन लिकि न लििािा।
अगिेलििाि़ों मेंसेएक बेरंग लििािेमेंिपेि कर इस तहरीर
को सुपुदद-ए-डाक कर दूाँगा। तुमनेलदल्ली का हाि पूछा है......
लमयााँ... इस केमुक़द्दर मेंतो उजड़ना ही लिखा है...
कभी इन्साऩों सेकभी आसमाऩों से......
कैलियत क्या लिखूाँ।
किेजा मुाँह को आता है।
हाथ िज़ाांक़िम जुंलबश न कुनद...
िो साहब तुम्हारी तवाज़ो ख़ालतर केलिए जी हल्का लकए िेता हुँ।
जी अपना कड़ा कर िो, और सुनो....
हर जालनब ह का आिम है। मुहल्लेवीरान, मकान बे-चराग़
न आदम न आदम-जाा़द। बस एक सन्नािा लक हर-सूछाया हआ
है।
शहर, अब शहर-ए-ख़मोशााँहै।
वीरानी, वहशत, ख़ामोशी, ख़ौि, ……
चश्म-ए-तसव्वुर नेभी कभी लदल्ली को इस तरह देखा होगाॽ
ब-हक्म-ए-सरकार मुनादी वािा आता है, मरनेवाि़ों की तादाद
बता जाता है। येअमि लदन मेंतीन बार होता है। ख़ौि-ओ-दहश्त
को ज़रा जी सेदूर करना चाहा लक येकमबख़्त आ कर मुनादी
मौत की सुना जाता है।
बताओ, ऐसेहािात मेंइन्सान लज़ंदगी क्यूाँ-कर और कैसेकरे?
सालहबान-ए-आिीशान का िरमान हैलक हर इन्सान छोिा-बड़ा,
मदद-ओ-ज़न, अपनेमकाऩों मेंमहसूर रहे।
ता-दम-ए-ि रमान-ए-सानी। लख़िाि-वरज़ी बाइस-ए-सरज़लनश-एशदीद होगी।
हक्म-ए-हालकम मगद-ए-मुिाजात। नाचार बैठा अपनेअशआ'र की
तसबीह लकए जाता हुँ।
रलहए अब ऐसी जगह चि कर जहााँकोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बााँकोई न हो
बे-दर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चालहए
कोई हम-साया न हो और पासबााँकोई न हो
पलड़ए गर बीमार तो कोई न हो तीमार-दार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वााँकोई न हो
मसमूअ हआ हैलक तमाम शहर और अतराि का इिाक़ा एक
वबा-ए-ना-गहानी की ज़द मेंहै।
येवबा आपसी इलख़्तिात, मेि-लमिाप सेआग की तरह फैिती
है,लिहाज़ा मा-लहफ़्ज़-ए-तक़्क़दुम इन्सान इन्सान सेदूर रहे.......
अलतब्बा व अहि-ए-लहक्मत वबा का नाम "कोरोना वायरस" बताते
हैं।
मैंगुनहगार बंदा अिी की क़सम खा कर कहता हुँलक इस बीमारी
या वबा का नाम मैंनेक़ब्ि-अज़ीं न पढा न सुना।
ब-ज़ालहर इसम-ए-मुरक्कब है............. लनसि इस का रेख़्ता और
लनसि अंग्रेज़ी।
रेख़्ता मेंकोरोना मसदर है, कर इस का अम्र हैकरो ... यानी
हाित-ए-हक्म में।
’’ना ’’ इसरार केलिए, जैसे‘’चिो ना’’
’’आओ ना’’, ’’लपयो ना’’ वग़ैरा वग़ैरा।
वायरस िफ़्ज़ अंग्रेज़ी का है
मेरी िरंगी ज़बान मेंऐसी इसतेदाद नहीं लक मफ़्हम तक रसाई हो।
िहंग-ए-सरवरी मेंभी येिफ़्ज़ मौजूद नहीं........
क़रीन-ए-क़यास ’’एहलतयात ’’ मफ़्हम हो सकता है। यूाँजान िो....
’’करो... ना एहलतयात’’...
रू-ब-काबा कहता हुँलक मैंमौत सेनहीं डरता मगर वबा मेंमरना
मुझेपसंद नहीं......
हए मर केहम जो रुसवा हए क्य़ों न ग़क़़-ए-दररया
न कभी जनाज़ा उठता न कहीं मज़ार होता
इन हािात मेंमख़्िूक़ को ख़ालिक़ सेरुजूअ होना चालहए
तौबा,इस्सतग़िार ही नजात का रासता है
इन्सान माज़ूर-ओ-मजबूर....
गुलज़श्ता लदऩों मेरेकरम-िमाद, मुहलसन-ओ-मेहरबााँराजा नरेंद्र लसंह
बहादुर, वािी-ए-पलियािा का िरसतादा काररंदा ग़रीब-ख़ाना
पहुँचा।
तीन बोतिें"िेकवीवर" की राजा साहब नेतोहफ़्तन लभजवाई थीं,
देगया।
गोया इसेरसद समझो। लमयााँतुम न समझोगे। येबहत क़ीमती
आिा दजादकी अंग्रेज़ी शराब है।
मालनंद-ए-क़वाम, रंगत क़ुमुदज़ी ज़ाइक़ा लनहायत ितीि और नशा
देर-पा।
अल्लाह बड़ा कार-साज़ हैवनादआज इस
नफ़्सा-नफ़्सी केआिम मेंयेनातवााँ
बे-सर-ओ-सामााँकहााँसेये अरक़-ए-तसकीन-ए-लदि-ओ-जााँजुिा
पाता था।
हक़्क़ा केिवाज़मात और अरक़-ए-गुिाब वालिर लमक़्दार में
मौजूद हैं।
चिो, बारेकुछ लदऩों का सही, सामान-ए-ऐश तो है।
कोतवाि-ए-शहर नेिसीि केचाऱों दरवाज़ेमुक़फ़्िि कर लदए
हैं। न कोई आ सकता हैन जा सकता हैलसवाए सरकारी मन्सबदाऱों और जनेिी काररंद़ों के।
देखो येसूरत-ए-हाि कब तक रहे।
लमज़ादसरिराज़ ख़ां साहब को ख़त मेरा पढवा देना
नजात का तालिब...
ग़ालिब
----
Subscribe & Click the notification bell :
https://www.youtube.com/rekhtashayari
https://www.youtube.com/c/jashnerekhtaoffical

Connect with us -

Visit the largest online resource for Urdu poetry and literature-
https://www.rekhta.org

Rekhta organises a 3-day annual Urdu Festival "Jashn-e-Rekhta" -
Website : https://www.jashnerekhta.org

Follow us on Social Media -

Instagram : https://www.instagram.com/Rekhta_Foun...

Facebook : https://www.facebook.com/RekhtaOfficial

Twitter : https://www.twitter.com/Rekhta
Music:
Anguish by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution license (https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/)
Source: http://incompetech.com/music/royalty-free/index.html?isrc=USUAN1400047
Artist: http://incompetech.com/